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“गूढ़दर्शी कलाकार” की आत्मा-दृश्य रचनाएँ

“चित्रों और शिल्पों का प्रेरणादायी संग्रह, जहाँ हर रेखा और आकृति में दिव्यता की फुसफुसाहट सुनाई देती है। विविध माध्यमों और शैलियों में रचित, प्रत्येक कृति सृजनशीलता, रहस्यवाद और अभिव्यक्ति का अद्वितीय संगम प्रकट करती है।”

स्वागतम्! यत्र दृश्यं च अदृश्यं च पवित्रसेतुना संयोज्यते

लिब्रे एसेंस स्टूडियो अनन्त – अनुराग गुप्ता की कृतियाँ: आध्यात्मिक कला, भित्ति चित्र, शिल्प और अनुरूप चित्रांकन – भारत

आध्यात्मिक अभिव्यक्तियाँ

नव-तांत्रिक द्रष्टा कला

अनुराग के. गुप्ता की कला प्रतीकवाद, नव-तांत्रिक अमूर्तता और अंतरराष्ट्रीय द्रष्टा कला धारा के संगम पर स्थित है। पवित्र ज्यामिति, आध्यात्मिक प्रतीकात्मकता और आलोकित अभिव्यक्ति में निहित उनकी कृतियाँ आधुनिकतावाद की पारलौकिकता की खोज को आगे बढ़ाती हैं, साथ ही वैश्विक परम्परा में ‘कला को दिव्यता तक पहुँचने का मार्ग’ मानने की धारा को एक विशिष्ट भारतीय स्वर प्रदान करती हैं।

कला धारा

"एक-तरह की नहीं, अनोखी पेंटिंग्स और मूर्तियाँ, जो जुनून और आत्मा के साथ हाथ से बनाई गई हैं ताकि एक अनूठी दृष्टि को व्यक्त किया जा सके।"

सृजनात्मक यात्रा

Testimony

**“एक चित्रकार और शिल्पकार, जो तेल और ऐक्रेलिक रंगों से कहानियाँ बुनते हैं, रेज़िन रिलीफ़, पत्थर, फाइबरग्लास और मिट्टी में गहराई का आकार देते हैं, और मिश्रित माध्यमों की असीम संभावनाओं का अन्वेषण करते हैं।

उनकी प्रत्येक कृति कल्पना का निमंत्रण है, और आदेशित कृतियाँ उतनी ही अद्वितीय हैं जितनी आत्माएँ, जिनके लिए वे रची जाती हैं।”** — रीनी मार्क्स

Mystic Creations

अनुरागक गुप्ता — आध्यात्मिक कलाकार, चित्रकार एवं शिल्पकार

“एक साधना, जहाँ कला एक जीवित प्रवाह बनकर उदित होती है — सीमाओं से परे बहती हुई, आत्मा, स्वतंत्रता और अस्तित्व की अनन्त श्वास को वहन करती हुई।”

“प्रतीक से शून्य तक — लिब्रे एसेंस शैली”

अनुरागक गुप्ता की कला उस दहलीज़ पर खिलती है जहाँ रूप और अरूप, प्रतीक और मौन, उपस्थिति और शून्यता का संगम होता है।
जो आरम्भ हुआ था आध्यात्मिक प्रतीकों और आधुनिक अमूर्तता के संवाद से, अब वह शून्य की ओर अग्रसर है — वह अनन्त शून्यता, जो सम्पूर्ण सृष्टि को धारण करती है।

उनकी स्वयं परिभाषित शैली लिब्रे एसेंस माध्यम और श्रेणी से परे है। यह प्रतिनिधित्व की नहीं, बल्कि उद्भव की खोज है — ऊर्जा, रूप और स्थिरता का एक सतत प्रवाह।
इस उद्भव में प्रत्येक चित्र, शिल्प और रिलीफ़ एक रूपान्तरण का द्वार बन जाता है — जहाँ दृश्य जगत अदृश्य के सूक्ष्म स्पन्दन में विलीन हो जाता है।

तंत्र की पवित्र धाराओं और भारत की ध्यान परम्पराओं में जड़ें जमाए, गुप्ता इन शाश्वत प्रेरणाओं को समकालीन भाषा में पुनः अभिव्यक्त करते हैं — एक नव-तांत्रिक अमूर्तता, जो ज्यामिति, प्रतीक और ब्रह्माण्डीय लय को जीवित द्रष्टा रूपों में प्रवाहित करती है।
उनकी साधना वैश्विक विज़नरी आर्ट मूवमेंट से भी जुड़ती है, जहाँ विभिन्न संस्कृतियों के कलाकार नये कलात्मक रूपकों के माध्यम से पारलौकिकता और चेतना की खोज करते हैं।

प्रतीकवादियों की रहस्यमयी ज्योति, अमूर्त अभिव्यक्तिवादियों की ध्यानमग्न गहराई, और भारतीय मंदिरों की भित्ति व रिलीफ़ कला की पवित्र वास्तुकला से प्रेरणा लेकर गुप्ता परम्परा को नवाचार के साथ, और भक्ति को स्वतंत्रता के साथ बुनते हैं।
उनकी कृतियाँ स्थिर वस्तुएँ नहीं, बल्कि जीवित तरंग-क्षेत्र हैं — मौन, लय और पारलौकिकता से स्पन्दित।

तेल, ऐक्रेलिक, रेज़िन, पत्थर और मिश्रित माध्यमों में कार्य करते हुए, गुप्ता पदार्थ और शून्य के बीच के नृत्य का अन्वेषण करते हैं। हर तूलिका और उकेरी गई रेखा एक साथ ही संकेत और विलय है — एक अर्पण, जो शाश्वत शून्यता की भूमि में लौट जाता है।

रॉथको, गैटोन्डे, क्लिम्ट और रज़ा की परम्परा की प्रतिध्वनि के बीच, और अलेक्स ग्रे तथा मार्टिना हॉफमान जैसे अंतरराष्ट्रीय द्रष्टा कलाकारों के संवाद में, गुप्ता की लिब्रे एसेंस शैली एक सेतु रचती है — पूर्व और पश्चिम के बीच, परम्परा और नवाचार के बीच, पदार्थ और आत्मा के बीच।

यह चित्रात्मकता से अधिक उपस्थिति का विषय है — रूप, रंग और बनावट की एक आध्यात्मिक भाषा, जो दर्शक को भीतर ले जाती है — स्वतंत्रता की ओर, सार की ओर, और शून्यता की अनन्त मौनता की ओर।

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Mystic Silverlights oil on canvas soulscape by anuragk gupta libre essence studio ananta
Mystic Silverlights oil on canvas soulscape by anuragk gupta libre essence studio ananta

अनुराग गुप्ता की चित्रकृतियाँ केवल दृश्य सृजन नहीं, बल्कि दिव्य अभिव्यक्ति के सजीव रूप हैं। हर तूलिका की रेखा आकार से परे गूँजती है, प्रकाश, रंग और प्रतीकात्मकता को जोड़कर एक ऐसी आध्यात्मिक भाषा रचती है जो आत्मा को स्पर्श करती है।

उनकी कृतियाँ दर्शकों को ठहरने, मनन करने और अस्तित्व के अदृश्य आयामों का अनुभव करने का निमंत्रण देती हैं — जहाँ भक्ति, मौन और अनन्तता का संगम होता है।

कला-कौशल और आंतरिक जागरण, दोनों में निहित, अनुराग की कला मानव-हृदय और शाश्वत के बीच एक सेतु बन जाती है, हर चित्र में पवित्रता की झलक प्रदान करती हुई।

अनुराग के. गुप्ता की कलात्मक यात्रा एक रूपान्तरण का पथ है— जीविका के प्रारम्भिक संघर्षों से लेकर अपने सच्चे आह्वान, एक आध्यात्मिक कलाकार के रूप में, की खोज तक।

उनकी प्रत्येक कृति धैर्य, भक्ति और अनन्त की खोज का प्रतिबिम्ब है, जहाँ कला केवल अभिव्यक्ति नहीं रहती, बल्कि आत्मा की एक तीर्थयात्रा बन जाती है।

self portrait  Neo-Tantric Visionary Art by Spititual Artist Anuragk Gupta Libre Essence Style
self portrait  Neo-Tantric Visionary Art by Spititual Artist Anuragk Gupta Libre Essence Style
On the way to destiny 24"x36" oil on canvas Carteblanche Libre essence studio ananta by anuragk gupt
On the way to destiny 24"x36" oil on canvas Carteblanche Libre essence studio ananta by anuragk gupt

अनुराग के. गुप्ता की कला में कैंडिन्स्की की आध्यात्मिक अमूर्तता, रोथको की ध्यानमय गहराई, और रज़ा की तांत्रिक ज्यामिति, एलेक्स ग्रे की द्रष्टा भक्ति के साथ अद्भुत रूप से समाहित होती है।

भारतीय आध्यात्मिक परम्परा में जड़ें जमाए उनकी प्रकाशमय कैनवास रचनाएँ दर्शकों को मनन और आत्मचिन्तन हेतु आमंत्रित करती हैं, ऐतिहासिक कला-आन्दोलनों और पवित्र अभिव्यक्ति की जीवित परम्परा के बीच एक सेतु का निर्माण करती हुई।

Veer Hanumaan Radiant force Divine expression by anuragk gupta
Veer Hanumaan Radiant force Divine expression by anuragk gupta
Trance oil on canvas  Neo Tantrik visionary style Anuragk Gupta
Trance oil on canvas  Neo Tantrik visionary style Anuragk Gupta
2 Neo-Tantric Visionary Art by Spititual Artist Anuragk Gupta Libre Essence Style Studio Ananta
2 Neo-Tantric Visionary Art by Spititual Artist Anuragk Gupta Libre Essence Style Studio Ananta

मेरी कला एक उद्भव है — सीमाओं से परे एक प्रवाह, जहाँ रूप मौन में विलीन हो जाता है।

तांत्रिक प्रतीकों से आधुनिक अमूर्तता तक, परम्परा से स्वतंत्रता तक — मेरी शैली लिब्रे एसेंस ऊर्जा, सौन्दर्य और आत्मा के सार की खोज है।

पवित्रता में जड़ें जमाए पर समकालीनता में व्यक्त, मेरा कार्य एक नव-तांत्रिक अमूर्तता है जो वैश्विक द्रष्टा कला आन्दोलन से संवाद करती है — प्राचीन भक्ति और आधुनिक पारलौकिकता दोनों को वहन करती हुई।

हर चित्र, शिल्प या रिलीफ़ मात्र वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवित उपस्थिति है — एक लय, एक अनुनाद। यह प्रतीक से शून्य की ओर, दृश्य से उस अनन्त मौन की ओर एक यात्रा है, जो सम्पूर्ण सृष्टि को धारण करता है।